सीवान जिला बिहार राज्य में स्थित है | जो बिहार राज्य ही नहीं भारत समेत पूरे विश्व में विख्यात है | इसकी समय - समय पर अलग - अलग लोगों ने अपने कर्मों से अलग - अलग पहचान दिया | इस धरती ने देश को प्रथम राष्ट्रपति दिया,महाभारत कालीन गुरु द्रोणाचार्य, स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मजरुल हक को दिया | तो वही अपराध के दुनिया में भी इस जिला का अलग पहचान था | इसी जिला के रहने वाले नटवर लाल भी थें | जिनके ठगी के किस्से आज भी पूरे देश में प्रसिद्ध है | इतना ही नहीं इनके ऊपर कई बॉलीवुड की फ़िल्में भी बन चुकी हैं | इसी जिला के रहने वाले हैं बाहुबली पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन , जिनका अपना अलग पहचान और कहानियां हैं | इनसे भी इस जिला की अलग पहचान है |
जब ये संसद हुआ करते थे तो इनका अपना अलग रुतबा और पहचान थी | बिहार राज्य के सियासत में इनकी इतनी पकड़ थी कि ये राज्य के राजनीतिक हवाओं को भी अपने हिसाब से मोड़ देते थें | जिनके समय में सीवन और शहाबुद्दीन दोनों को एशिया के कई देशों के लोग जानते थे | फिलहाल तो ये जेल में बंद हैं और इनपर अभी कई आपराधिक केस हैं | जेल में अपनी सजा काट रहे हैं | इसी जिला के रहने वाले नटवर लाल भी थें | जिनके ठगी के किस्से और कहानिया आज भी सुना - सुनाया जाता है | कहा जाता है कि इन्होंने अंग्रेजो से ताजमहल और लालकिले को अपना बताकर कई बार बेच दिया था | ऐसा भी कहा जाता है कि ये स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के सहपाठी थें | डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म सीवान जिले के जिरादेई गांव में हुआ था और नटवर लाल का जन्म उन्हीं के बगल के गांव रूईया बंगरा में हुआ था |
सीवान जिला की प्रसिद्ध स्थानें -
सीवान जिला के सिसवन प्रखंड में प्रसिद्धि बाबा भोलेनाथ की मन्दिर है | जो एक पवित्र तीर्थ स्थान और पूरे भारत में बाबा महेन्द्र नाथ के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | इसके अलावा यहाँ जिला मुख्यालय से 30 Km दूर गुठनी में सोहागरा का प्रसिद्ध मंदिर है | जो बाबा भोलेनाथ (बाबा हँसनाथ) मन्दिर है | इसी जिला के अनुमंडल महाराजगंज के मिरगंज के हथुआ मे हथुआ नरेश का भव्य महल एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है | इसके अलावा इसके सीमा से सटे गोपालगंज जिला मे माँ दुर्गा का पवित्र जावें मे थावे वाली माता का प्रसिद्ध मंदिर है | इसके साथ - साथ भारत के प्राथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्म स्थाल जिरादेई भी है | जहाँ लोग उनका घर देखने आते हैं |
सीवान जिला का इतिहास -
सीवान : माना जाता है कि महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य, पांडवों और कौरवों के गुरु थे | वह इसी जिला के दरौली प्रखंड के दोन गांव के रहने वाले थें | द्रोणाचार्य के नाम पर ही इस गांव का नाम दोन पड़ा | जिला पहले सारण जिला का एक प्रमंडल था | 8 वीं शताब्दी में यह बनारस राज्य का हिस्सा था | मुस्लिम समुदाय के लोग यहां 13 वीं शताब्दी में आए | 15 वीं सदी में सिकंदर लोधी ने इसे अपने अधीन कर लिया | बाबर अपने यात्रा के दौरान यहां की घाघरा नदी को पार किया था | 1776 में एक बहुत बड़ा युद्ध हुआ, जिसे इतिहास में बक्सर के युद्ध से जाना जाता है | इस युद्ध के बाद यह बंगाल का हिस्सा बन गया | 1972 मे जिला विभाजन में इसे एक अलग जिला बना दिया गया | इसे पहले अलीगंज के नाम से जाना जाता था |
स्वतंत्रता के लडाई मे इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है | इस जिले का कुल क्षेत्रफल 2219 किलोमीटर वर्ग है और 2011 के जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 3318176 है | यहां के लोग शिक्षित हैं | लेकिन यहां के चुनावों में लोग जातिवाद और धर्मवाद पर विश्वास रखते हैं और इसी को केंद्र में रखकर वोट भी देते हैं | यहां के ज्यादातर लोग अपने रोजगार के लिए खाड़ी देशों में पलायन करते हैं | पूरे राज्य में सबसे अधिक विदेशों से पैसा सीवान जिला में ही आता है |
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