Mother Teresa |
मदर टेरेसा Mother Teresa :-
मदर टेरेसा का जन्म कब और कहां हुआ था वो भारत कब आयीं?
मदर टेरेसा एक महान आत्मा थी । उनका वास्तविक नाम अग्नेस गोंझा बोजामी था । मदर टेरेसा का जन्म युगोस्लाविया में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था । मदर टेरेसा 6 जनवरी 1929 ईस्वी को आयरलैंड से भारत के कोलकाता में आई थीं । उन्होंने भारत का भ्रमण किया और यहां उन्होंने गरीबों, औरतों और बच्चों की दयनीय स्थिति को अपनी आंखों से देखा । भारत भ्रमण के पश्चात उन्होंने निर्णय किया कि वह भारत में ही रहेंगी और गरीब बच्चों तथा यहां के गरीब लोगों की निस्वार्थ सेवा करेंगी । उन्होंने अपने शिक्षा से भारत की नागरिकता ले ली ।इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फैमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिंग ट्रेनिंग की पढ़ाई पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता लौटकर आ गईं ।
उनका व्यक्तिगत कुछ भी नहीं था । वे महान मानवताप्रेमी थीं । उन्होंने रहने के लिए भारत का चुनाव किया । वे कलकत्ता (कोलकाता) में रहीं और कार्य कीं। 1950 में उन्होंने "सहायतार्थ धर्मप्रचारक संस्था" की स्थापना की । उन्होंने 1952 में अपना पहला अनाथालय खोला।
मदर टेरेसा के महान से भी महान कार्य और भारत में योगदान :-
उसका नाम निर्मल हृदय' रखा। उन्होंने अपना नाम 'टेरेसा' सोलहवीं सदी की एक संत टेरेसा से लिया । मदर टेरेसा एवं उनके मिशनरी की अन्य बहनें बहुत ही सरल जीवन बिताया उनलोगों ने कठिन परिश्रम किया और गरीब एवं असहायों की सेवा की । मदर ने 124 विद्यालयों को स्थापना की, जिनमें हजारों बच्चों को पढाया जाता है । उसने बेघरों को घर दिया। उन्होंने दुःखी एवं उपेक्षितों को सहानुभूति एवं सहारा दिया। उन्होंने लोगों से भूखे बच्चों को खिलाने का निवेदन किया ।
बड़े लोग, नेता, व्यवसायी, अभिनेता, खिलाड़ी और अन्य मुख्य व्यक्तित्व उनसे बड़े प्रभावित थे । वे लोग सदैव मदर के पास आते थे ।
मदर टेरेसा को दुनिया से मिले अनमोल पुरस्कार :-
मानवता के प्रति महान कार्य के लिए 1979 का 'नोबेल शांति पुरस्क्रार' उन्हें दिया गया । 1980 में उन्हें 'भारतरत्न' भी प्रदान किया गया । मदर टेरेसा ने मानवता से प्रेम किया । उन्होंने अपना जीवन दु:खी लोगों, खासकर बच्चों के लिए समर्पित कर दिया।
मदर टेरेसा की मृत्यु और अमर गाथा :-
उनके मृत्यु होने से पूर्व ही उनके संस्था से चार हजार सिस्टर्स और 300 अन्य संस्थाएं जुड़ गई थी जो विश्व के लगभग 123 देशों में काम कर रहे थे । उन्होंने लोगों से अपील किया कि दु:खी लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित करें । यही पूरी दुनिया के लोगों के लिए उनका संदेश था । सितम्बर 1997 को मदर ने आखिरी साँस ली । दुनिया के सभी देशों से लोग उन्हें अपनी अंतिम श्रद्धांजलि देने आये । कलकत्ता (कोलकाता) नगर अन्तर्राष्ट्रीय शोक-स्थल बन गया ।
वह गरीबों की एक मसीहा थी । भारत में कुछ लोग उन्हें देवी का अवतार मानते हैं । आज भी कई गरीब परिवार और असहाय लोगों के लिए वह देवी के एक अवतार ही थी , जिसने उन गरीब दुखी यारों को सहारा दिया ममता का साया दिया अपने औलाद की तरह पाला पोसा बड़ा किया दो वक्त की रोटी दी आज मदर टेरेसा को तारा पूछते हैं ।
Mother Teresa.
ConversionConversion EmoticonEmoticon