स्वामी विवेकानंद : Swami Vivekanand, जीवनी, संपूर्ण जीवन दर्शन, लेख, Article, Essays, Biography

Swami Vivekanand
Swami Vivekanand 

 स्वामी विवेकानन्द का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
 
स्वामी विवेकानन्द दुनिया के महान धार्मिक गुरुओं में से एक थे । स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था । उनके महान पिता का नाम विश्वनाथ एवं माता का नाम भुवनेश्वरी दत्ता था | बचपन में उन्हें वेश्वर उर्फ 'बाइल' कहा जाता था । जब वे स्कूल गये, तो स्कूल में उनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था ।

नरेन्द्र अपने स्कूल-जीवन के दरम्यान साहित्य, इतिहास , दर्शनशास्त्र एवं विज्ञान की अनेक पुस्तकें पढ़ी । इंट्रेंस परीक्षा उन्होंने सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की । 1884 में उन्होंने
बी०ए० किया । कुछ समय वे 'विधि' की पढ़ाई भी की लेकिन पिता की मृत्यु के कारण इन्हें अपनी जीविका पार्जन करनी पड़ी । मेट्रोपोलिटन स्कूल में पढ़ाकर उन्होंने अपनी जीविका पार्जन की । प्रारंभ से ही नरेन्द्रनाथ को 'ध्यान' करने का शौक था । समय-समय पर वे ध्यान किया करते थे । यह प्रारंभिक लक्षण था, जो दर्शाता था कि एक दिन वह बड़ा संत बनेगें ।

स्वामी विवेकानंद के गुरु कौन थे और स्वामि परमहंस की मृत्यु कब हुई ? 
Swami Paramhans Maharaj
Swami Paramhans Maharaj 


बदलाव का वह मोड़ उस वक्त उनके जीवन में आया, जब पहली बार वे श्री रामकृष्ण से मिले । पहली मुलाकात में ही दोनों ने एक-दूसरे के प्रति चुम्बकीय आकर्षण महसूस किया। नरेन्द्रनाथ को रामकृष्ण में कुछ विलक्षण बातें दिखाई दी नरेन्द्रनाथ ने रामकृष्ण को अपना गुरु स्वीकार कर लिया । रामकृष्ण ने उन्हें ईश्वरीय मार्ग दिखलाया । उन्होंने अपने गुरु के आदर्शों एवं शिक्षाओं का अनुशरण किया। उसके बाद वे विवेकानन्द हो गये। विवेकानन्द ने कन्याकुमारी में ध्यान के द्वारा सत्य को जाना । 16 अगस्त 1886 ई को स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस स्वर्गवास सिधार गये | जिनकी पूजा आज भी कलकत्ता के काली मंदिर में महान भक्त और संत के रूप में होता है | कन्याकुमारी में एक द्वीप पर विवेकानन्द मंदिर है। अपने सत्य के संदेश को प्रसारित करने हेतु विवेकानन्द ने सम्पूर्ण भारत की पैदल यात्रा की । इस दौरान वे 'परिमार्जक संन्यासी' के रूप में जाने गये। 

 स्वामी विवेकानंद अमेरिका कब और क्यों गए थे  ? 

स्वामी विवेकानंद 11 सितंबर 1893 ई को शिकागो (अमेरीका) आयोजित धर्म संसद में सामिल होने गए थे जहाँ उन्होंने बहुत ही सुंदर और लोकप्रिय भाषण दिया था जो भाषण आज तक अमर है | हिन्दू-धर्म के प्रतिनिधि के रूप में विवेकानन्द शिकांगो में आयोजित धर्म- संसद में सम्मिलित हुए | वहाँ उन्होंने श्रोताओं को 'प्रिय भाइयो एवं बहनो.... ' कहकर सम्बोधित
किया । उनके इस सम्बोधन ने श्रोताओं को पूरी तरह से मोहित कर लिया । अनेक अमेरिकन उनके शिष्य बन गये । उनमें से एक अमेरिकन शिष्या, जिसका नाम नोबल था, 'बहन निवेदिता' के नाम से प्रसिद्ध हुई । विवेकानन्द ने 'बेलूर-मठ' और 'रामकृष्ण मिशन' की स्थापना की । सन फ्रांसिसको में उन्होंने 'वेदांत सोसाइटी' की स्थापना की। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं । उनकी पुस्तकें मानवता की शिक्षा देती हैं । जिन्होंने देश में ही नहीं ब्लकि पश्चिमी देशों में भी बिदेशी नागरिको को अपना शिष्य बनाया | उनसे प्रभावित होकर कई विदेशी हिन्दू धर्म अपना लिए |

 स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई थी ? 

4 जुलाई 1902 ई को स्वामी विवेकानंद जी स्वर्गवास सुधार गए |

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