डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन : स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति, भारत रत्न की जीवनी एवं सम्पूर्ण जानकारी


डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन : स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति, भारत रत्न की जीवनी एवं सम्पूर्ण जानकारी 


डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति तथा द्वितीय राष्ट्रपति थे । वे महान दार्शनिक, शिक्षाविद,वक्ता, शिक्षक एवं सच्चे देशभक्त एवं राजनेता थे । उनका जन्म 5 सितंबर 1818 ई को तमिलनाडु के महानगर चेेन्नईसे 200 किलोमीटर अंदर उत्तर पश्चिम में तिरुताणी में  हुआ था । उनका परिवार एक मध्यम वर्गीय ब्राम्हण परिवार था। जिसमें कुल 8 सदस्य थे। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और उनके 4 भाई और एक बहन थी। इस प्रकार माता - पिता को लेकर परिवार में कुल 8 सदस्य थे । उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता था ।

 डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिवारिक जीवन :-

 उस समय भारत में बाल विवाह  प्रचलन में था, जिससे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी अछूते नहीं रहे इस प्रकार उनका विवाह भी बाल विवाह की श्रेणी में हुआ । राधाकृष्णन की शादी 1903 ईस्वी में मात्र 16 वर्ष के कई आयु में शिवाकामू से हुआ था। उस समय उनकी पत्नी का उम्र मात्र 10 वर्ष था। लेकिन शिक्षा ग्रहण में उनका बाल विवाह तनिक भी वादा नहीं बना ने अपने अध्ययन जारी रखा और उन्होंने एक से बढ़कर एक सर्वोच्च शिक्षा प्राप्त की। ऐसा माना जाता है कि जितना उच्च एवं महान शिक्षा सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पास था, पूरे विश्व में केवल गिने-चुने लोगों के पास ही था ।  
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन :-

 5 सितंबर 1888 ईस्वी में जन्म के बाद उन्होंने अपना शुरुआती शिक्षा अपने स्थानीय क्षेत्र में ही ग्रहण किया जो 1902 ईसवी में मैट्रिक पास कर गए। इसके तत्पश्चात हि 1904 ई में मात्र 16 वर्ष की उम्र में शादी हो गई। इसके बाद उन्होंने 1916 ई में  दर्शनशास्त्र से एम ए किया। इसके पश्चात उन्होंने मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हो गए। इसके बाद उनका शिक्षा देने और ज्ञान बांटने कार्यक्रम लगातार जारी रहा। इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक यूनिवर्सिटीज में ज्ञान दिया। उन्हें वक्ता के तौर पर विश्व के एक से बढ़कर एक यूनिवर्सिटीज ने उन्हें अपने यहां आमंत्रित किया। इस दौरान उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, Oxford University इत्यादि विश्वविद्यालयों में अध्यापक, प्राध्यापक, चांसलर के तौर पर कार्य किया ।

 शिक्षक के रूप में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान :-

 डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन अपने जीवन का 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किए और शिक्षा से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने निम्नलिखित भारत समेत विश्व के प्रसिद्ध संस्थानों में अपना योगदान दिया - 

 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे। 

 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन में प्राध्यापक रहे। 

29 ईसवी में के विख्यात मैनचेस्टर विश्वविद्यालय लंदन ने उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया था। 

 1939 से 1948 तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चांसलर रहे। 

1953 से 1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे। 

इसके बाद 1946 में उन्होंने यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया। 

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक योगदान :-

वैसे तो डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं रहे, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलनों में काफी सक्रिय रहे। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से लोगों तथा भारतीय छात्रों के बीच स्वतंत्रता एवं स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उनके अंदर अलख जगाया। वे एक महान दार्शनिक और महान वक्ता थे। इस प्रकार पंडित जवाहरलाल नेहरू उनसे काफी प्रभावित थे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन, स्वामी विवेकानंद और बीर सावरकर से प्रभावित, अपना मार्गदर्शक मानते थे. 1929 ईस्वी में लंदन के विख्यात विश्वविद्यालय मेनचेस्टर विश्वविद्यालय ने वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया, 1952 ईस्वी में सोवियत संघ से आने के बाद वे भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने तत्पश्चात नहीं सो 1962 ईस्वी में द्वितीय राष्ट्रपति बने। 

 राष्ट्रपति राष्ट्रपति के तौर पर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान :-

 डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति थे। लेकिन एक शिक्षक भी थे|जिन्होंने अपना 40 वर्ष शिक्षक बि रूप में बिताया था। इसलिए के जन्मदिवस को "शिक्षक दिवस" के रूप में मनाया जाता है। 1947 से 1949 तक वे संविधान सभा के सदस्य रहे। 1952 में उन्हें भारत का राजदूत बनाकर मास्को भेज दिया गया, 1952 में सोवियत संघ से आने पर 13 मई 1952 ईस्वी को भारत का प्रथम उपराष्ट्रपति बनाया गया। इस दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्रपति थे। राजेंद्र प्रसाद  के राष्ट्रपति तौर पर 10 वर्ष के कार्यकाल पूरा करने के बाद सबसे कोई योग्य व्यक्ति था राष्ट्रपति के लिए तो वे थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन। 13 मई 1962 को वे  द्वितीय राष्ट्रपति चुन लिए गए, 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने देश के लिए एक से बढ़कर एक फैसले लिए। भारत को अपना मार्गदर्शन । 

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिला पुरस्कार उपाधियां एवं उनकी मृत्यु :-

 राधाकृष्णन को 1954 ईस्वी में भारत रत्न से नवाजा गया। 1931 ईस्वी में ब्रिटेन साम्राज्य द्वारा उन्हें "सर" उपाधि दी गई। 17 अप्रैल 1975 ईस्वी में उनका देहांत हो गया, के बाद ब्रिटेन द्वारा शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया। 
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