हिन्दी कहानी : परी राजकुमारी और नन्ही नीलम , Best Hindi Intresting Story


कहानी का नाम :- परी राजकुमारी और नन्हीं नीलम

प्रतापी राजा चन्द्रदेव एक बहुत बड़े राज्य का शासक
था, राजा को एक नन्ही-सी बेटी थी। नीली आंखों वाली
फूल सी-कोमल, बर्फ-उजली । नाम था नीलम, कुछ दिन
पहले रानी का स्वर्गवास हो चुका था । नन्हीं नीलम माँ के
 प्यार के लिए तरसती, रोती, बिलखती । इसलिए राजा ने
दूसरी शादी की, रानी माँ पाकर नीलम फूली न समाई 
रानी उसे खूब प्यार करती ।
कुछ दिनों बाद नई रानी को भी एक लड़की हुई,
नीलम नन्हीं बहन को देखकर खुश हो गई । लेकिन बेटी
होने पर रानी माँ बदल गई, अब वह सारा दिन अपनी
बेटी को दुलारती रहती ।

जैसे-जैसे दिन बीतते गए, माँ नीलम से दूर होती चली
गई । एकदिन राजा के मंत्री ने रानी के कान में कहा-महरानी जी ! यदि नीलम यहां रही तो आपकी बेटी सुख से नहीं रह सकती, राजा नीलम को अधिक चाहते थे । रानी के मन में बात चुभ गई, उसने मंत्री की सहायता से एक षड्यंत्र रचा ।
एक दिन जब नीलम खेल रही थी, तभी किसी ने उसे
पुकारा । नीलम आवाज की ओर चल दी, झाड़ी के पीछे
रानी के भेजे हुए सैनिक छिपे थे । वे नीलम को उठाकर
ले गए, उसे बहुत दूर एक पुराने किले में कैद कर लिया ।
नीलप के गायब होने पर राजा ने उसे बहुत तलाश
कराया, लेकिन नीलम को कोई नहीं खोज पाया। राजा
दिन भर उदास रहता उसने राज्य का कार्म देखना बन्द
कर दिया। अब मंत्री भी खुश था, सारा  काम वही देखता था, वह मनचाहा धन उड़ाने लगा ।

इंधर  नन्हीं नीलम किले में बंद थी, वह दिन भर रोती
रहती। उसे कई दिन बिना खाए-पीए हो गए, सैनिक जो।
'कुछ खाना-पीना रख गए थे, वह कब का खत्म हो चुका,
था  ।
एक दिन नीलम ने बाहर हंसने-खिलखिलाने
आवाज सुनी, देखा एक एक नन्हा बालक तितली के
पकड़ने के लिए उसके पीछे-पीछे भाग रहा था । उसके
बाल सुनहरे और घुंघराले थे । उसे देखकर नीलम क्षण भर
को अपना दुःख भी भूल गई, वह खिड़की से निकलने की
कोशिश करने लगी। लेकिन सीखचों से निकलना पुश्किल
था. उसने आवाज लगायी.... प्यारे गुड्डे ! उड़कर मेरे पास
आ जा।

वह उड़कर खिड़की के पास जा पहुंचा और सींखचे
पकड़कर खिड़की की मुंडेर पर बैठ गया। नीलम ने
पूछा-नन्हे गुड्डे तुम कौन हो ? कहां से आये हो ? मैं भी
तुम्हारे साथ खेलूगी।
बालक बोला-नन्हीं गुड़िया ! मैं परी रानी का बेटा हूँ 
। देखो ने मेरे पंख है, मैं उड़ सकता हूँ, लेकिन  तुम कौन
हो ? तुम यहां क्या कर रही हो ?
मैं इन सींखचों से बाहर नहीं आ सकती हूँ, मुझे यहाँ
सिपाही कैद कर गए हैं। मैं राजा चन्द्रसेन की  बेटी हूं।
क्या तुम मुझे बाहर निकाल सकते हो ? मैं बहुत  भूखी भी हूं  ।
नीलम की बात सुनकर परी का बेटा बहुत दुःखी हो
उठा, फिर एकाएक वह तेजी से उड़कर जंगल में गायब।
हो गया।
नीलम निराश हो, खिड़की से नीचे उतर आई और

एक कोने में बैठकर रोने लगी। थोड़ी देर बाद आवाज
सुनाई दी, नन्हीं नीलम ! इधर खिड़की में आओं । देखा, मैं.
तुम्हारे लिए क्या-क्या लाया हूँ।
नीलम ने देखा कि परी का बेटा रसीले, मीठे-मीठे
फलों से लदी डालियां तोड़ लाया था । नीलम ने उसे
कहा-नन्हें गुड्डे ! क्या तुम बहुत  ऊंचे उड़कर किले की
छत पर पहुंच सकते हो ? यदि तुम वहां पहुंच जाओ तो
मैं भी छत पर पहुंच सकती हूँ । फिर हम दोनों साथ-साथ
मीठे-मीठे फल खायेंगे और खेलेंगे ।
इतना कहना था कि परी का बेटा उड़कर छत पर जा
पहुंचा । नीलम भी वहां पहुंच गई। दोनों एक दूसरे से
मिलकर बहुत खुश हुए और खा-पीकर खेलने लगे इसी
तरह परी का बेटा रोज आता और दोनो खुब खेलते ।
एक दिन नीलम और परी के बेटे को खेलते-खेलते
शाम होगई, दोनो थक भी बहुत गए थे। थकावट से दोनों
गहरी नींद में सो गए ।
परी का बेटा लौटकर नहीं आया तो परी चिन्तित हुई
जादुई अंगूठी में देखा तो वह किले की छत परं सोया हुआ
दीख पड़ा। परी चिल्लाई-यह तो वह किले के छत पर
सो रहा है । साथ वाली लड़की इतने भयानक जंगल के
किले में कहां से आई ? परी चल दी और उड़कर किले
के छत पर पहुंच गई, उसने दोनों को जगाया। नन्हें ने जब
अपनी माँ को देखा तो यह उससे लिपट गया और
बोला-माँ, यह नन्हीं राजकुमारी है । मैं रोज इसके साथ
खेलता हूँ। वह बहुत मीठी-मीठी बातें करती है, अच्छी
है। इसे भी अपने साथ ले चलो न माँ।
परी माँ को देखकर नीलम को अपनी माँ याद आ गई,
वह फूट-फूट कर रोने लगी । परी ने उसे अपने पास

बुलाकर प्यार किया और बोली-बेटी ! चिन्ता मत  करो,
मैं तुम्हें महल में पहुंचा दूंगी। लेकिन पहले तो यह पता
कर लूं कि तुम्हें कैद करने में किसका हाथ है। जब तक
उसे दण्ड नहीं मिलेगा तब तक तुम्हें खतरा रहेगा अभी
तुम मेरे साथ चलो।
परी ने सब कुछ जान लिया उसने नीलम को बताया
कि रानी और मंत्री दोनों ही राजा को धोखा देकर लूट रहे हैं।
एक दिन परी के बेटे ने अपने माँ से, कहा...माँ तुम
नीलम को भी मेरे जैसे सुन्दर पंख लगा दो ना ।
परी ने नीलम को सुन्दर पंख लगा दिए, पंख पाकर
. नीलम बहुत खुश हुई। वह बोली... परी माँ ! अपने पिता
को दुष्ट मंत्री से बचाना चाहती हूँ। बीच में ही परी की
बेटा बोला माँ मुझे जादू का यह डण्डा दे दो । मैं और
नीलम दुष्ट मंत्री को मजा चखा देंगे ।
परी ने डण्डा दिया और कहा..दोनों सावधान होकर
महल में जाना । रात हो गई तो वे दोनों रानी के कमरे में
पहुंचे, रानी उस समय सो रही थी । दोनों जोर-जोर से
हंसने लगे, रानी हड़बड़ा कर उठी। उसने देखा, दो
छोटे-छोटे बच्चे उड़ते हुए उसके पलंग के चक्कर लगा
रहे हैं । रानी ने नीलम को पहचान लिया रानी चीखने
लगी। उसे तो विश्वास था कि नीलम भूख-प्यास भय के
मारे मर चुकी होगी। रानी की चीख सुनकर सिपाही कमरे
में आए तो दोनों गायब हो गए । इसी तरह रोज आकर
रानी को तंग करते, रानी बहुत भयभीत हो गई थी । बह
रात में सो भी नहीं पाती थी। दिन में जब खाना खाने
बैठती तो परी के डण्डे के जादू से थाली में रखे पकवान
पत्थर के बन जाते और रानी भूखी रह जाती।
मंत्री खजाने से हीरे, मोती, चांदी संदूकों में कर अपने

घर पहुंचाता रहता । नीलम और परी का बेटा छिपकर यह
सब देखते रहे, जब मंत्री ने सारा खजाना खाली कर दिया
तो वह राजा को मारने की ताक में रहने लगा ।
एक रात तलवार लेकर वह राजा के कमरे में पहुंचा,
राजा गहरी नींद में सो रहा था । नीलम और परी का बेटा
मंत्री का पीछा कर रहे थे , जैसे ही मंत्री ने राजा को मारने
के लिए तलवार उठाई तलवार सांप बन गई। मंत्री चीखकर
भागा, इतने में राजा की नींद खुल गई । मंत्री झट बहाना
बना दिया..... यह सांप आपको काटने आया था । मैनें इसे
आते देख लिया था, इसी
इतने में नीलम और परी का बेटा कमरे में आये, वे
खिलखिलाते हुए मंत्री के चारों ओर चक्कर काटने लगे ।
नीलम बोली-नहीं-नहीं यह दुष्ट झूठ बोलता है । यह
आपको मारने आया था पिताजी ! राजा ने नीलम को उड़ते
देखा तो बहुत खुश हुआ। नीलम राजा के गले से लिपट
गई, उसने रानी माँ के षड्यंत्र की पूरी कहानी राजा को
सुनाई, इसी बीच मौका पाकर मंत्री वहां से भाग निकला।
राजा ने सिपाही को भेजकर मंत्री को कैद कर लिया
राजा की आज्ञा से सिपाही रानी को पकड़कर ले आए ।
राजा ने उसे मौत की सज़ा दी । किन्तु नीलम के कहने पर
क्षमा कर दिया, परी का बेटा वापस जाने लगा तो नीलम
दुःखी हुई। राजा ने परी के बेटे को प्यार से अपनी गोदी
में बैठाकर-बेटा ! तुम भी यहीं रहो ।
नहीं, यह परीलोक का राजकुमार है । परी ने कहा ।
राजा ने देखा, एक सुन्दर परी मुस्कुरा रही थी ।  परी
बोली-राजा ! तुम्हारी बेटी के पास भी पंख हैं, यह चाहेगी
तो उड़कर परीलोक जा सकती है । मेरे बेटे और तुम्हारी
 बेटी का मिलन  दो विश्वों  की दोस्ती है,  क्यों तुम्हें यह मंजूर है ना? 

 हां,  बिल्कुल मंजूर है । राजा मुस्कुराकर परी की ओर देखा,  मगर तब तक परी अपने बेटे के साथ गायब हो चुकी थी ।




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